News of 60th Self Realization Day of Pujya Bapuji.
News Coverage
News Summary
Sant Shri Asharamji Bapu has been inspiring everyone towards आत्मसाक्षात्कार, The Ultimate Goal of human life. Millions of people have experienced life-changing transformations by attending his enlightening Satsangs. #60thSelfRealizationDay
Disciples of Sant Shri Asharamji Bapu have enthusiastically celebrated #AtmaSakshatkarDiwas of Pujya Bapuji.
— Ashram Bengaluru🛕 (@AshramBlr) October 18, 2023
Nationwide Celebration was done by #Ashram #Bengaluru too on 16.10.23 for Spiritual Awakening & enlightenment.
Glimpses of #60thSelfRealizationDay.https://t.co/XfGhCzuija pic.twitter.com/d6Rx2Ou7EL
Sant Shri Asharamji Bapu : प्राणिमात्र की माँग, मनुष्य जीवन का The Ultimate Goal है आत्मसाक्षात्कार!! परम सुख, परम ज्ञान, परम सामर्थ्य का अनुभव, परब्रह्म-परमात्मा और अपने आत्मा के मिलन के दिवस का नाम है आत्मसाक्षात्कार दिवस ।
संत श्री आशारामजी बापू का आत्म साक्षात्कार दिवस मनाया गया- बेंगलुरु आश्रम में..
बेंगलुरु: हर वर्ष की ही भांति इस वर्ष भी संत श्री आशारामजी बापू का 60वां आत्म साक्षात्कार दिवस, बनशंकरी सेकंड स्टेज स्थित बेंगलुरु आश्रम में धूमधाम से मनाया गया। पूज्य बापूजी ने बताया कि- आज के ही दिन उन्होंने अपने सदगुरु साँई लीलाशाहजी महाराज की कृपा से सबको सत्ता- स्फूर्ति देने वाले परमात्मतत्व का ज्ञान पाया था। मनुष्य जीवन का असली उद्देश्य आत्मसाक्षात्कार अर्थात परमात्मतत्व का ज्ञान प्राप्ति ही है। अनादि काल से गुरु- शिष्य परम्परा के माध्यम से यही ज्ञान समाज में बँटता रहा है और समाज को सुख-शांति, आनंद से तृप्त करता रहा है।
यह परब्रह्म परमात्मा जो करोड़ों- अरबों के अन्तःकरणों में, दिलों में, सत्ता- स्फूर्ति- चेतना देता है, जो सब यज्ञ और तप के फल का भोक्ता है और ईश्वरों का ईश्वर है, उस परमेश्वर के साथ एकाकार होने का नाम है- आत्म साक्षात्कार। यह आत्मज्ञान मानव जीवन की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है। भगवान का दर्शन अर्जुन को, हनुमानजी को भी हुआ था लेकिन अर्जुन और हनुमानजी को जब तक आत्मसाक्षात्कार नहीं हुआ था, तब तक उनकी यात्रा अधूरी थी। कृष्ण तत्व के साक्षात्कार के बिना अर्जुन विमोहित हो रहे थे। जब श्री कृष्ण ने उपदेश दिया, तब अर्जुन को आत्मसाक्षात्कार हुआ, फिर अर्जुन कहते हैं- नष्टो मोह: स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युते...
पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू के अनुसार- एक ही परमात्मा भिन्न- भिन्न रूपों में दिख रहा है इसीलिए ईश्वर के स्वरूप को लेकर वाद-विवाद से परे एकत्व का मार्ग दिखाते हुए; पूज्य बापूजी ने कर्मयोग, भक्तियोग, कुंडलिनीयोग और ज्ञानविज्ञानयोग आदि विभिन्न योगों को ईश् वरप्राप्ति में सहयोगी बताया व अनुभव कराया है। यही कारण है कि हर स्वभाव, मान्यता एवं योग्यता वाला व्यक्ति पूज्य बापूजी के सत्संग सान्निध्य से सहज में अपनी उन्नति का अनुभव करता है और आत्मसाक्षात्कार की परम उपलब्धि की ओर अग्रसर होता है।
संत श्री आशारामजी बापू के आत्मसाक्षात्कार दिवस पर आश्रम परिसर में विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसकी शुरूआत सुबह 12 बजे के पूज्य बापूजी के उत्तम स्वास्थ्य हेतु महामृत्युंजय मन्त्र की व जल्द रिहाई के निमित्त ससंकल्प हवन से हुई। उसके बाद गुरु प्रार्थना, भावपूर्वक गुरुदेव का मानस पूजन व पादुका पूजन तथा पूज्यश्री की जीवनलीला, साधना, परिव्रज्या और आत्मसाक्षात्कार को दर्शानें वाले श्री आशारामायणजी का सामूहिक पाठ किया गया।
पूज्य बापूजी के 60वें आत्म साक्षात्कार की घड़ी दोपहर 2:30 बजे से आश्रम के सत्संग हॉल में 60दीप प्रज्वलित किए गयें। दीप प्रज्जवलन के बाद पूर्णाहुति की मंगल आरती व भंडारे का आयोजन हुआ।
Also Read...
This News is Often associated with below Tags!
Humanize the Effort!
Do you think its helpful for you?
You can help others too. Simply click below buttons to Tweet, Share or Send this on Twitter,Facebook, Whatsapp or Telegram. It's Free!