Shraddh-2023 at Bengaluru Ashram.
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Sant Shri Asharamji Ashram is organizing #सामूहिकश्राद्धकार्यक्रम on Sarvpitru Amavasya so contact nearby Ashram and perform Must To Do Shradh with vedic rituals to express our gratitude to our ancestors so that they will bestow us with long life, health, wealth and glory.
Sarvpitru Amavasya (14.10.2023) को सभी पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने के लिए Sant Shri Asharamji Ashram, #Bengaluru में #सामूहिक_श्राद्ध_कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
— Ashram Bengaluru🛕 (@AshramBlr) October 13, 2023
Must To Do -पितरों को तृप्त करने और उनका आशीर्वाद पाने हेतु इस आयोजन में अवश्य भाग लें। pic.twitter.com/XVtJulnNZP
संत श्री आशारामजी आश्रम, बेंगलुरु में सम्पन्न हुआ-विशाल सामूहिक श्राद्ध कर्म
14.10.23- बेंगलुरु: शनिवार को सर्वपितृ अमावस्या के दिन सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने संत श्री आशारामजी आश्रम, बेंगलुरु में मंत्रोच्चारण के साथ विधि-विधान से अपने पितरों का श्राद्ध कर तृप्ति का अनुभव किया। पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी बताते है कि- अपनी भारतीय संस्कृति में 40-40 उत्सव हैं और एक भी उत्सव शोक मनाने वाला नहीं है। हमारे ऋषि-मुनियों ने अनादिकाल से समाज को यही शिक्षा दी है कि जीते-जी आपने माता-पिता की सेवा व सम्मान करना तथा मरने के बाद भी उनकी सद्गति के लिए श्राद्ध करना। भगवान श्री रामजी ने भी अपने माता-पिता का श्राद्ध किया था और संत एकनाथजी ने भी श्राद्ध किया था।
इसी परम्परा के अंतर्गत सर्वपितृ अमावस्या के पावन अवसर पर बनशंकरी स्थित आ श्रम में पवित्र ब्राह्मणों द्वारा श्राद्ध कर्म सम्पन्न किया गया। शास्त्रों में बात आती है की श्राद्ध करने से पितरों को श्राद्धकर्म का पुण्य मिलता है तो वे हम पर संतुष्ट रहते हैं और हम पर कृपा बरसाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप श्राद्ध करने वालों को जीवन भर कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता। श्राद्ध करने से अनेक लाभ होते हैं। जैसे परिवार में उत्तम संतान का आना। सभी का स्वस्थ रहना तथा दीर्घजीवी होना इत्यादि; इसलिए शास्त्र कहते हैं की- श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए।
सामूहिक श्राद्ध में न केवल बेंगलुरु के जनसामान्य नें, बल्कि कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल राज्य के भी कई लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। सभी ने श्राद्ध कर्म करने के पहले आश्रम में अपने घर परिवार की सुख-शांति के लिए हवन-यज्ञ किया तथा गायों की सेवा का संकल्प लेकर- सेवा का पुण्य अर्जित किया।
शनिवार की सर्वपितृ अमावस्या के दिन संपूर्ण भारत के समस्त संत श्री आशारामजी आश्रमों में लाखों लोगों ने श्राद्धकर्म का लाभ लिया। पूज्य बापूजी की अनुपस्थिति में सम्पन्न किया गया यह श्राद्धकर्म भक्तों को यही प्रेरणा दें रहा था कि- एक न एक दिन सत्य की जीत होगी और हमारे पूज्य बापूजी जल्द ही हम सभी के बीच होंगे। अंत में आरती व भक्तों में महाप्रसाद (भंडारा) वितरण करके कार्यक्रम की पूर्णाहुति हुई।
आश्रम में यह भी बताया गया कि- संत श्री आशारामजी बापू का 60वाँ आत्मसाक्षात्कार महोत्सव बेंगलुरु आश्रम में 15 अक्टूबर (रविवार) को हर्षोल्लास से मनाया जायेगा। यह वह दिन है, जिस दिन पूज्य बापूजी ने अपने सद्गुरुदेव साईं लीलाशाह बापू की कृपा से अपनी आत्मा में ही परमात्मा की अनुभूति की थी। इस दिन को पूज्य बापूजी के भक्त 'आत्मसाक्षात्कार दिवस' के रूप में मानते हैं।
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