What Shri Narayan Sai has to say about your living? Shri Narayan Sai in Bengaluru

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ईश्वर को पाने के लिए ईश्वर में श्रद्धा होना जरूरी है। यदि हम भगवान का साक्षात्कार करना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें अपने आप को पहचानना होगा ।

व्यक्ति के जीवन में सम और विषम दोनों प्रकार की परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं। यह व्यक्ति के जीवन चक्र का हिस्सा है। परिस्थितियां ही साधक की परीक्षा लेती हैं। अनुकूल परिस्थिति व्यक्ति को आत्मविश्वाश देती है तो विषम परिस्थिति में धीरज धरना ही साधक का मुख्य गुण है। कई विवादों से घिरे संत आसाराम बापू के पुत्र नारायण प्रेम साईं ने रविवार को बनशंकरी स्थित आश्रम में आयोजित हरिओम सत्संग में यह बात कही।

उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस संसार में ज्ञानी और अज्ञानी दो प्रकार के व्यक्ति होते हैं। ज्ञानी व्यक्ति हर परिस्थिति का सामना धीरज व शांति के साथ करते है। अज्ञानी व्यक्ति थोड़ा काम करते हैं और अभिमानी तथा उतावले होते हैं।

Chinta Nahi chintan ki avsakta

उन्होंने कहा कि स्वयं को जानना-पहचानना ही जीवन का सबसे बड़ा भजन है। व्यक्ति के रोम-रोम में बसने वाला तत्व 'राम' है। जो राम नाम का जाप करते हैं वह भवसागर को पार कर जाते हैं। राम नाम की ताकत बताते हुए एक उदाहरण के माध्यम से उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में विषम परिस्थितियां कई बार आती ह ऐसी स्थिति में सच्चे साधक तो उस नाम के साथ रहते हैं और कचे साधक उससे परे हो जाते हैं। सच्चे साधक को हर परिस्थिति में एक-सा रहना चाहिए।

अपने संबोधन में उन्होंने खुलासा किया कि शीघ्र ही वे अपनी एक राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे जिसमें सबी धार्मिक प्रकृति वाले लोगों को शामिल किया जाएगा तथा उन्हें सत्ता में भागीदारी दिलाने का प्रयास किया जाएगा। इस नई पार्टी का नाम 'ओजस्वी पार्टी' तय किया गया है।

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