Deepotsav at Bengaluru Ashram.
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Sant Shri Asharamji Ashram, Bengaluru Ashram is celebrating Deepotsav, the Festival of Lights, on 12th Nov 2023.
Sant Shri Asharamji #Ashram #Bengaluru celebrated #Diwali in a unique way.
— Ashram Bengaluru🛕 (@AshramBlr) November 23, 2023
An Anokhi Diwali i.e. The Festival of Lights, organized on 12.11.23
Here are the glimpses of #Deepotsav2023 #Deepavali 👇
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संत श्री आशारामजी आश्रम, बेंगलुरु में सम्पन्न हुआ- भव्य ‘दीपोत्सव’ कार्यक्रम
बेंगलुरु: संत श्री आशारामजी आश्रम, बेंगलुरु में दीपावली पर्व पर सहस्त्र दीप प्रज्वलित कर दीपोत्सव कार्यक्रम मनाया गया। मिट्टी के दीयों से सजा आश्रम का सत्संग पंडाल कुछ ऐसा दिखाई दिया, मानों व्यासपीठ पर सोने का पानी चढ़ गया हो। झिलमिलातें दीपों की झलकियाँ, इतनी भव्य और दिव्य दिखाई दी कि- सबकी नजरें वहीं पर जाकर टिक जाती थी। संत श्री आशारामजी आश्रम, बेंगलुरु द्वारा लोगों को कुम्हार द्वारा निर्मित मिट्टी के दिये सहित स्थानीय उत्पादों के अधिक से अधिक प्रयोग में लाकर गरीब वर्गों की दीपावली ख़ास और ख़ुशहाल बनाने की अपील की। दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है- दीप + आवली, यानी कि दीपक से सजी पंक्तियां।
मान्यताओं के अनुसार भगवान राम 14 सालों का वनवास काटकर जिस दिन वापस अयोध्या लौटे थे, उसी दिन अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनके स्वागत में दिवाली मनाई थी। दीपावली को लेकर यह भी मान्यता है कि पांडवों के वनवास के बाद उनके घर वापसी पर भी दीपोत्सव मनाया गया था। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से असुरराज नरकासुर का वध किया था। उसके बाद भी नरकासुर के अत्याचार से मुक्ति मिलने की खुशी में नगरवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं। तब से दिवाली की परंपरा चली आ रही है।
गौरतलब है कि बेंगलुरु आश्रम में ये सातवाँ दीपोत्सव कार्यक्रम था, जो सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। दीपोत्सव की तैयारी काफी दिन पहले से शुरू हो गई थी। आश्रम के वॉलंटियर्स के सहयोग से दीपोत्सव का कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। जैसे- जैसे शाम ढलती गई, वैसे- वैसे दीपक भी सुनहरी रंगत के साथ जगमगा उठें। एक पल को ऐसा लगा कि- “जैसे आसमान ने अपनी मुठ्ठी से कुछ तारे बेंगलुरु आश्रम परिसर पर बिखेर दिए हों। इसके अलावा आश्रम के मुख्य द्वार पर बनी रंगोली की अलौकिक छटा एवं दीपों की सजी रोशनी अत्यंत मनभावन लग रही थी। दीयों की रौशनी ने आश्रम के इस रौनक में चार चांद लगा दिए।
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