Ashram Bengaluru organized an event to tie thread of faith- Guru Rakshasutra.

News Coverage

News Summary

The bond of Guru-Shishya is always supreme & above all relations.

So, #Bengaluru #Ashram organized the Guru RakshaSutra Program for disciples on 27.08.23 from 4:00 PM onwards at Ashram at #Banashankari #Bangalore.

Vedic Rakhi is the destroyer of inauspiciousness & remover of sufferings in human life. By wearing it once a year, a person gets protected throughout the year.

Join us to make this #RakshaBandhan memorable for always.

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गुरु रक्षासूत्र कार्यक्रम का आयोजन हुआ- संत श्री आशारामजी आश्रम, बेंगलुरु में

बेंगलुरु: आध्यत्मिक रक्षा हेतु शुभ संकल्प का पर्व- रक्षाबंधन निमित्त संत श्री आशारामजी आश्रम, बेंगलुरु में गुरु रक्षासूत्र कार्यक्रम का आयोजन हुआ। आश्रम में आयें सभी साधकों को गुरुदेव के शुभ संकल्प से सम्पूटित रक्षासूत्र बांधे गये। पूज्य बापूजी अपने सत्संग में बताते है की- इस दिन शिष्य भी मन-ही-मन सद्गुरु को कुछ अर्पण करते हैं और गुरु भी शिष्य के जीवन में आनेवाले उतार– चढ़ाव में उसकी रक्षा होती रहें, उसका प्रेम कहीं धन में न उलझ जायें, उसका प्रेम कामनाओं का रूप न ले लें, उसका प्रेम परमात्मा तक पहुँचे ऐसा शुभ संकल्प बदले में करते हैं। रक्षाबंधन हमें सावधान करता है कि हे शिष्य ! तू विकारों से, मोह-माया से अपनी रक्षा चाहता है तो आज के दिन अपने गुरुदेव के समक्ष संकल्प कर कि 'हे गुरुदेव ! जब- जब दुनिया की उलझनों और आकर्षणों में मैं गिरने लगूँ तब- तब आप मेरी रक्षा कीजिये। हे व्यापक चैतन्य में रमण करनेवाले गुरुदेव ! जैसे बहन भाई को धागे की राखी बाँधती है ऐसे हम आपको धागे की राखी तो नहीं लेकिन श्रद्धाभरी प्रार्थना भेज रहे हैं कि जब-जब हम उलझ जायें तब-तब हमारे अंतर को परमात्मा की ओर, अपने अनुभव की ओर, अपनी ज्ञाननिष्ठा की ओर, अपनी प्रेमाभक्ति, हरि-मस्ती की ओर आकर्षित करना, आनंदित करना, अहोभाव से भर देना। हे गुरुदेव ! आपका प्रेम, आपका ज्ञान और आपका यह धर्म का प्याला, आध्यात्मिक रस का प्याला हम जैसे कई प्यासों तक पहुँचे, यह हम आपके चरणों में प्रार्थना भी करते हैं और शुभ संकल्प भी अर्पित करते हैं कि मेरे गुरु का प्रसाद दूर-दूर तक पहुँचे।'

और सद्गुरु शिष्य के लिए शुभ संकल्प करते हैं कि 'हे साधक ! तू फिसले नहीं और कभी फिसले तो तुझे उन्नत साधक मिलें... उन्नत साधक न भी मिलें तो तुझे उन्नत विचार आ जायें और कभी उन्नत विचार भी न आ सकें तो उन्नत में उन्नत जो तेरा अंतरात्मा है तू उसकी- शरण में आये अथवा जो तेरा गुरुमंत्र है उसका तू जप करता रहे और तेरी रक्षा हो।'

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