14 Feb.- Parents Worship Day celebrated at Gangamma Temple.

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मातृ देवो भव, पितृ देवो भव… के नारों से गूंज उठा- गंगम्मा मंदिर, जलाहल्ली

बेंगलुरु: जहाँ 14 फरवरी को भारत एवं पूरे विश्व में वेलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता था, वहीं कुछ वर्षो से अब वह “मातृ- पितृ पूजन दिवस” के रूप में भारत सहित पूरे विश्व पटल पर छाया हुआ है। पूरे देश एवं विदेशों में भी “मातृ- पितृ पूजन दिवस” बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। विश्व मानव के उज्जवल भविष्य के लिए किये इसी स्वर्णिम संकल्प को फ़ैलाने हेतु संत श्री आशारामजी आश्रम, बेंगलुरु द्वारा शहर के विभिन्न स्कूलों व अन्य सामाजिक स्थलों में “मातृ- पितृ पूजन दिवस” का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें 60+ स्कूलों में आयोजन हो चूका है (इनकी झलकियाँ आश्रम के वेबसाइट- www.ashramblr.org में देख सकते है) व इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए- 12 फरवरी (रविवार) को गंगम्मा मंदिर, जलाहल्ली में “मातृ- पितृ पूजन दिवस” का भव्य आयोजन हुआ ।

वहां कार्यक्रम में भाग लेने हेतु उत्तर बेंगलुरु के सैकड़ों स्थानीय लोग मंदिर में पहुंचे। जिसमें कई धार्मिक संगठन वाले एवं अन्य कई गणमान्य लोग भी शामिल थे। उन्होंने अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हुए कहा कि- “निश्चित ही हमारे कोई पुण्य उदय हुए है, जिसके फलस्वरूप हमे ऐसे दिव्य आयोजन में शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ है।“

विश्व मांगल्य व स्वास्थ्य प्राप्ति हेतु हुए महामृत्युंजय मंत्र के हवन के बाद, पंडितजी ने “मातृ- पितृ पूजन दिवस” कार्यक्रम की आवश्यकता व महत्ता बताई। उसके बाद विधिपूर्वक मन्त्रोचार से पूजन प्रारंभ हुआ। बच्चों ने अक्षत, कुमकुम व पुष्पों से पूजन किया एवं प्रदक्षिणा की तो माता- पिता ने भी बच्चों के सिर पर आशीर्वाद भरा हाथ रखा एवं उन्हें ख़ूब स्नेह किया अपनी संतान को अपने सामने पूजा करते देख माता- पिता भाव विभोर हो गये और स्नेह से भरकर बच्चों को गले लगाया तो वे भी द्रवीभूत हो गये। इस दिव्य एवं अनुपम दृष्य को देखकर वहां मौजूद सभी लोगों की आँखें भर आयी और उन्होंने संत श्री आशारामजी बापू को कोटि- कोटि प्रणाम किया एवं साधुवाद देते हुए कहा कि- धन्य हैं बापूजी जिन्होंने विश्व को ऐसा अनुपम उपहार दिया और यह इस देश का दुर्भाग्य है की करोड़ों लोगों का मंगल करने वाले एक निर्दोष संत को पिछले 10 वर्षों से बिना किसी अपराध के जेल में रखा हुआ है। आश्रम द्वारा बताया गया कि 16 वर्ष पहले संत आशारामजी बापू ने वेलेंटाइन डे के दुष्प्रभावों को देखकर 14 फरवरी को मातृ- पितृ पूजन दिवस प्रारम्भ करवाया और आज यह दिन भारत के साथ विदेशों में भी करोड़ों लोगों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है।

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