Geeta Bhagawat Satsang & Tulsi Pujan at Bengaluru Ashram
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बेंगलुरु आश्रम में सम्पन्न हुआ- गीता भागवत सत्संग व तुलसी पूजन
18.12.22: Geeta Bhagwat Satsang was organized in the presence of Sadhvi Jyotsna at #Bengaluru #Ashram.
— Ashram Bengaluru🛕 (@AshramBlr) December 19, 2022
She preached that Gurubhakti, Guruseva, Chanting Bhagavannam, and Knowledge of oneself relieves one of all worldly bonds and bestows eternal bliss.
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Revered Sant Shri Asharamji Bapu initiated Tulsi Pujan Diwas on 25 December due to the Numerous Benefits of Tulsi.#मेरी_संस्कृति_मेरा_गौरव
— Ashram Bengaluru🛕 (@AshramBlr) December 20, 2022
18.12.22: A Collective #TulsiPujanProgram was conducted at #Ashram #Bengaluru in presence of Sadhvi Jyotsna.
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18.12.22: बेंगलुरु आश्रम में साध्वी ज्योत्सना बहन के सान्निध्य में गीता भागवत सत्संग व सामूहिक तुलसी पूजन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। गुरुभक्तियोग के सत्संग से शुरुआत करते हुए उन्होंने बताया- गुरुभक्ति, गुरुसेवा, भगवन्नाम एवं भगवद-ज्ञान तो ऐसी मधुशाला है जिसका नशा संसार के सारे नशों से पार लगा देता है। यह अशांत हुई मानव-जाति को आत्मस्वरूप में मधुर विश्रांति दिलाने वाली ब्रह्मज्ञान की लोरी है। 84 लाख योनियों के बाद मनुष्य जन्म होता है, भटक-भटक के जब वह थक-थक के संत के- सद्गुरु के शरण आता है, तब उस जीवात्मा को लगता है कि- “अब कुछ जीवन है, अब कुछ नई दिशा प्राप्त हुई है और मनुष्य योनी की तो यही सफलता है की; कोई सद्गुरु मिल जाये, उनके बताएं हुए मार्ग पर हम दृढ़ता से हम चलें... सद्गुरु की कृपा मिल जायें.. बाकि जीव जितना भी यत्न करें, जब तक उसके कर्म अशुद्ध है, विचारधारायें अशुद्ध है तो दिखने वाले बाह्य कर्म भी न जाने कब पथ से गिरा देते है, ईश्वरप्राप्ति के राह से च्युत कर देते है, परन्तु आज ये कैसा सौभाग्य है? बेंगलुरु के साधक गुरुकृपा की समीक्षा करते हुए, गुरु ज्ञान में गोता लगा रहे है।“
जब शिष्य गुरु की शक्ति के साथ एकाकार होता है तब स्वतः उसके भीतर गुरुकृपा के ज्ञान का प्रकाश प्रकाशित होता है । हममें इतनी प्यास नहीं है इसीलिए देर हो रही है । परन्तु शिष्य में तड़प जगाने के लिए गुरुदेव... न जाने कैसी- कैसी कथायें खोजकर लाते हैं, उसे महान बनाने के लिए क्या-क्या तुक्के आजमाते हैं... तरकीबें लड़ातें हैं ! सद्गुरु बाहर से कभी आपके शत्रु जैसे दिखें, फिर भी हमें भूलकर भी उनका दामन नही छोड़ना चाहिए वे कभी-न-कभी हमें जीवन के परम ध्येय परमात्मा तक हमे पहुँचा ही देंगे । साध्वी ज्योत्सना दीदी ने 25 दिसम्बर को बेंगलुरु के गंगाम्मा मंदिर, जलाह्ल्ली में होने वाले सामूहिक तुलसी कार्यक्रम की घोषणा करते हुए आगे बतायें की- पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का विश्वमानव को दिया हुआ उपहार है: “विश्वगुरु भारत कार्यक्रम”
पूर्वकाल में घर-घर में तुलसी, गीता, गौमाता भारतीय संस्कृति की ये धरोहरें विद्यमान होती थीं, जिससे लोग स्वस्थ, प्रसन्न व शांत रहते थे लेकिन धीरे-धीरे इन्हें घरों से बेघर कर दिया गया जिसके कारण समाज रोगग्रस्त व अशांत होने लगा। वर्तमान समय में इस अशांति ने ऐसा विकराल रूप धारण किया कि वर्ष के अंतिम दिनों में होनेवाली आपराधिक प्रवृत्तियों, आत्महत्याओं में विशेषरूप से बढ़ोतरी होने लगी। इसका प्रमुख कारण था 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के बीच पाश्चात्य संस्कृति के अनुकरण से समाज में बढ़ती दुष्प्रवृत्तियाँ, जैसे मांसाहार, शराब सेवन आदि ।
भूले-भटके, नीरस समाज को सच्ची राह मिले व जनजीवन में सरसता, सात्त्विकता, आरोग्य, प्रभुप्रीति आदि का प्रादुर्भाव हो इस उद्देश्य से 2014 में ही ब्रह्मवेत्ता संत पूज्य बापूजी ने 'विश्वगुरु भारत कार्यक्रम' का अनुपम उपहार समाज को दिया।
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